एंकर गोटेंगाव_भले ही हम चांद में आशियाना तलासने की जब्दोजहद में जुटे हुए और विकसित भारत की परिकल्पना से हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन यह तस्वीर हमें जमीनी हकीकत का आइना दिखाती नजर आ रही है जहां जर्जर पुल हादसों को दस्तक दे रहा है और जिम्मेदार बेखबर है देखिए यह खास रिपोर्ट
वी ओ _ तहसील मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्र को जोड़ने वाला यह छोटा सा जर्जर पुल बड़ी दुर्घटना को दस्तक देता नजर आ रहा है स्कूली बच्चे हो या अन्य ग्रामीण और वार्ड वासी सभी इसी रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं और यह रास्ता उनके लिए मुसीबत बना हुआ है मामला गोटेगांव के पटेल वार्ड स्थित अहमना नाले का है जो वार्ड को ग्राम पंचायत छिदोंरी एवं नगर पालिका सीमा क्षेत्र से जोड़ता है लेकिन नहीं प्रशासन और ना ही जिम्मेदार कोई आवश्यक कदम उठाने की जहमत उठा रहे हैं कभी विधानसभा अध्यक्ष तो कभी विधायक से ग्रामीण गुहार लगा चुके हैं लेकिन क्षेत्र वासियों की गुहार शायद जिम्मेदारों को सुनाई नहीं देती और यही वजह है कि उन्हें रोज खतरा उठाकर इस नाले को पार करने पर 80 साल बाद भी जब यह हालत है तो विकसित भारत की परिकल्पना करना बेमानी नजर आता है गोटेगांव में कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी की सरकार रही लेकिन किसी भी विधायक में इसे संज्ञान लेने की कोशिश नहीं की प्रशासनिक अधिकारी भी मामले में गोल-मोल जवाब देते हैं और अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आते ही इस संबंध में सरपंच देवदत्त पचौरी का कहना है कि छिदोंरी हार में जो कच्चे पुल की समस्या बनी हुई है उसके लिए मेरे द्वारा दो साल पहले जिला पंचायत में प्रस्ताव दिया था इसके अलावा वर्तमान विधायक महेंद्र नागेश जी को इस समस्या से अवगत कराने के साथ-साथ जनपद अध्यक्ष ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है और हमें केंद्रीय मंत्री जी से राशि मिलने की पूरी उम्मीद है जल्द ही इस पुल का निर्माण करेंगे